उनकी याद जब भी आती है,
एक अजीब सा बेचेनी मन में कसक बन के उभर जाती है..
एक अजीब सा बेचेनी मन में कसक बन के उभर जाती है..
मैं अपने भींगे पलकों से उनके तस्वीर निहारता हूँ ,
साथ गुजरे उन लम्हों को याद करके..
सूखे रेगिस्तान में उनका आना शायद इत्तफाक ही तो था
लहलहा उठे थे मेरी जीवन के सूखे गुलिस्ता,
उनका आना सावन की उमरते बादल ही तो थे,
मेरे सूखे अधरों पे दो बूंद जिन्दगी के दिए थे ,
अब न वो है और ना उनकी मीठी बातें
बस उनकी यादो के झिलमिलाती पंखुरे
मुझे जीवन को जीने के लिए प्रेरित कर जाती है ;
और मै जिए जा रहा हूँ ,उनकी यादो को दिल में समेटे हुए .....
--क्रमश:
साथ गुजरे उन लम्हों को याद करके..
सूखे रेगिस्तान में उनका आना शायद इत्तफाक ही तो था
लहलहा उठे थे मेरी जीवन के सूखे गुलिस्ता,
उनका आना सावन की उमरते बादल ही तो थे,
मेरे सूखे अधरों पे दो बूंद जिन्दगी के दिए थे ,
अब न वो है और ना उनकी मीठी बातें
बस उनकी यादो के झिलमिलाती पंखुरे
मुझे जीवन को जीने के लिए प्रेरित कर जाती है ;
और मै जिए जा रहा हूँ ,उनकी यादो को दिल में समेटे हुए .....
--क्रमश:
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