तुम्हारी
बेरूखी मंजूर मुझे,
तुम जैसी भी हो, जानम हो तुम मेरी,
मैं तो तुमही से प्यार करता हुँI
क्युँ मैने उसे अपना
बनाया,
और क्यों
उसे अधिकार दियाI
उस बेवफा पर एतबार,
और क्युँ इतना उससे, मैने प्यारा कियाI
कल तक वो जान देने
की कहती थी,
अब इरादा
है उसका मेरी जान लेने कीI
कितना बेबस हुँ मैं अपने इस दिल से,
उस बेवफा
से आज भी मैं वफा करता हुँI
तुम्हारी सूरत पसंद
मुझे,
अब
तुम्हारे साथ रहने से मैं डरता हुँI
तुम्हारी
बेरूखी मंजूर मुझे,
अब तुम्हारी मोहब्ब्त से मैं डरता हुँI
तुम जैसी भी हो, जीवन हो तुम मेरी,
मैं तो तुमही से जिन्दा रहता हुँI
क्या कहुँ मौकापरस्त,
खुदगर्ज या बेदर्दी,
ऐसी अपेक्षा मुझे, तुमसे ना थीI
मेरी अस्तित्व कर
दिया तुमने खतम,
मेरी ख्वाहिश
तो जानता है शिवमI
मुझको मेरी अधूरी
मोहब्बत की कसम,
दिन रात मैं युँहि तड़पता हुँI
तुम्हारी
नफरत मंजूर मुझे,
अब तो तुम्हारी मोहब्ब्त से मैं डरता
हुँI
तुम जैसी भी हो, धड़कन
हो तुम मेरी,
मैं तो तुमही से
जिन्दा रहता हुँI
Asheesh Kamal |
very good writing...keep it up....jisse mohabat hey...usse darna kyuon....jaan hey teri to ,,,,darna kyaa,,,pyaar se pyaar karo,,,,iswar ki khubsurati yehi hey......yaad rakho muhobat ko,,,,,nafrat ko nehin...
ReplyDeletedardse bhi utnaa pyaar karo jitna pyaar se pyaar hey....dard bhi dawaa banjaayega,,,ye duaa hey hamari
ReplyDeletedardse bhi utnaa pyaar karo jitna pyaar se pyaar hey....dard bhi dawaa banjaayega,,,ye duaa hey hamari
ReplyDelete