कोइ है, जो मेरे सिने में, धड़कन की जगह धड़कता है,
मेरी आँखो में, रौशनी बन उभरता है,
मेरा जीवन उसकी, आँचल से है प्रस्फुटित,
मेरा मस्तिष्क, उसकी ममता से है सुरक्षित,
मेरे लहू में, उसका ही हो रहा है रक्तों का
संचार,
मेरी रूह पर, सिर्फ उसका ही, है अधिकार
मेरे ह्र्द्य में, उसकी त्स्वीर है प्यारी,
नित्य उसके दर्शन करता मैं,
उसके चरणों में है, मेरी दुनिया सारी,
वो ममतामयी, स्नेहम्यी, है सबसे न्यारी,
पुत्र हुँ मैं उसका, और वो माँ है हमारी I
Asheesh Kamal |
No comments:
Post a Comment