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Sunday, May 17, 2015

अधूरी कहानी

जब परीक्षा का अंतिम परिणाम आया तो आज भी मेरा नाम नहीं था, पता नहीं मेरी किस्मत में क्या लिखा है, कब मेरी जॉब होगी यह कहते हुये रूँआसा हो गया था मैं, आप तनिक भी घबराओ नहीं, जब कुछ अच्छा होने को रहता है तो ईश्वर हमारे हाथ को खाली कर देते हैं जिससे हम अपनी खुशीयों को दोनों हाथों से समेट सकें, रूद्राणी मेरी आँसूओं को पोछ्ते हुये बोलीl मैं रूद्राणी के सामने नि:शब्द हो गयाl अगले दिन मैं कोलकाता के वही पुराने ऑफिस पहुँचा और अपने केबीन मे चला गया,मैं अपने भविष्य को ले कर पूरे दिन परेशान रहा,शाम मे ट्रेन द्वारा ऑफिस से घर लौट रहा थाl ट्रेन में अचानक किसी ने आवाज दी परम जी, मैने मुड़कर देखा तो मैं पहचान नही पाया, और पुछ ही दिया जी आप कौन? उन्होने बोला; आपने मुझे नही पहचाना? मैने कहा नहीं? तो उसने शूरू की; जी मैं कावेरी बनर्जी हुं और मैं आपके ऑफिस मे आज ही ज्वाइन की हुँ, आप तो अपने ऑफिस के स्टाफ को ही नही पहचानते और मुझे देखीये; मैने झट से आपको पहचान लियाl हुँ न मै स्मार्ट, बोलिये ? हाँ बोलिये? बोलिये?  मैने युँहि अपन सर हाँ मे हिला दिया, और फिर शूरू हो गयी हमारी दोस्ती, दोस्ती कब प्यार मे बदला गयी मुझे पता नहीं चला, मुझे याद है जब मैं मुम्बई गया था परीक्षा देने और उसमे भी मेरा चयन नही हुआ तथा मै रूआसा होकर कावेरी को फोन किया था तो मुझे रूँआसा देख कर उसने मुझे तब तक ‘मै आपसे प्यार करती हुँ’ बोलती रही जब तक मैने हँस नही दिया, मेरे सोये हुये प्रेम को कावेरी ने कुरेद कुरेद कर बाहर निकाल दिया, सत्य है जब इसान जिद्गी के तलाश मे रहता है तो उसे एक सहारे की आवश्यकता होती है और जब सहारा लक्ष्य बन जाये तो जिदगी और भी खुबसूरत लगने लगती है. करीब दो साल बाद मुझे आई आई टी त्रिवेन्द्रम मे जॉब मिल गयी इन दो वर्षों मे कावेरी ने एक सच्चा हमसफर होने का परिचय दिया था, मेरी हर वस्तु से उसने प्यार किया, और मुझे भी उसकी हर अदा से सच्चा प्रेम हो गया था, मै तो उसके बिना साँस भी नही ले पाता था, वो हमेशा मुझे फोन पर बोलती रहती  खाना खाये, घड़ी बाँधे की नहीं, अच्छा सा शर्ट पहन कर ऑफिस जायेंगे न, समय पर खाना खा रहे हैं नl परम आपको पता है कुछ दिन बाद जब मैं आपके पास दुल्हन बन कर आ जाउगी तो न मै आपको बहुत तग करुँगी अब तो आपको मुझे जिंदगी भर झेलना होगा, मै तो भूत हुँ परम साहब; एक बार आपको पकड़ ली तो अब जिंदगी भर नही छोड़ुगीl कावेरी के मुहब्बत और अपनापन देख कर मेरी तो हालात यह हो गयी थी की कावेरी के बिना मैं जीवन जीने का कल्पना भी नही कर पा रहा था, और ये लाजिमि भी था क्युँकि कावेरी भी मेरे से सच्चा प्यार करती थी और वो भी मेरे बिना जीवन नही जी सकती थी, इसलिए अब हमदोनों ने फैसला किया की हम शादी कर लें फिर मै उसके पिता से मिला उन्होने साफ शब्दों मे मना कर  दिया ‘ बेटा आप तमिलनाडु से हो और हमलोग बंगाल से है, हम दोनों की संस्कृति भिन्न है” कावेरी के पिता की बातें सुन मै तो सकते मे आ गया, मै कुछ बोलता तब तक उन्होने दरवाजा बन्द कर दिया था , मै उनसे पुछना चाहता था ‘जब ईश्वर ने रक्त में कोई अंतर नही किया, रूह में अंतर नही किया, तो हमारी सोच मे अतर कैसे हो गयी,  पता नही? मैने कावेरी मे अपनी माँ का अक्स देखा था , मेरी माँ तो तमिल थी और कावेरी बगाली फिर मुझे उसमे माँ का अक्स क्यूँ दिखाई दिया, ना जाने कब हमारे बुजुर्गो की मानसिकता बदलेगी, ना जाने उन्हे कब समझ आयेगा कि शादी दो दिलों का मिलन होता है न की दो शरीर का , और जिस शादी मे दिलो का मिलन होता है वो जाति या समुदाये नही देखा करती उसे तो बस दिल को सभालने वाला चाहिये, जिस तरह एक कलम जज के हाथो से लिखती है पर्ंतु उस कलम को ये नही मालुम की उसने क्या लिखा, ठीक ऐसे ही ये दिल प्यार कर लेता है और मालुम नही की सामने वाला दिल किस जाति और किस प्रदेश का है, खैर, मै अपने आप को सँभालते हुये कावेरी को फोन किया, पर्ंतु कावेरी का उत्तर सुन कर मै तो हतप्रभ रह गया, मेरा दिल और दिमाग सुन्न हो गया, मेरी आखो से अविरल अश्रुधारा फुट पड़ी, मेरी दुनिया समाप्त हो चुकी थी, मेरे ख्वाब टूट चुके थे, समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ, मैं किसी तरह अपने कमरे में पहुँचा, और ईश्वर अयप्पा स्वामी के सामने खड़ा हुआ इधर  आँखो से लगातार आँसू गिरते जा रहे थे, मेरी आँसूओं को पोछकर हँसी देने वाली अब वापस नहीं आने वाली थी, मैने लम्बी साँस लेते हुये कहा, काश मेरी  जिन्दगी मे एक रीसायकल बिन होता, तो पुन: रीस्टोर कर लेता मैं उन लम्हों को और पूरा कर देता मेरी और कावेरी की अधूरी कहानी कोl 
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1 comment:

  1. Bhut achi khani thi sch kha aapne shadi do shriro ka nhi do dilo ka Milan hai par pyaar jati rang roop nhi dekhta prntu hmare ghrwale yeh sb jrur dekhtey hai. Najane is sbke chkker me kitni khaniya ya yunn khu zindagiya sunni pdi hai. Unke zindagi k pnne khali PDE hai jo sayd ajj bhi unko bhrne ki. Rash dekhtey hinge.. Shukriya is adhuri khaani knliye yuhh hi likhtey rhiye

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