.......मैं आशीष कमल.....
मैं जी रहा हुँ अपने ख्वाब के लिये,
अपने शोहरत और जज्बात के लिये,
और; मेरा दिल धड़कता है अपनों के इंसाफ के लिये,
किताबें मेरी हमराज हैं, सम्राट अशोक मेरे आदर्श
के सरताज हैं,
मेरी आखों में भावुकता के आँसू
और नवीनता के आगाज है,
ह्र्दय में ईश्वर और मस्तिष्क में नमाज है,
क्षमा-दया और स्नेह-प्रेम ये चार स्तंभ मेरे
व्यक्तित्व के,
मेरी जिन्दगी इनसे आफताब है,
जैसे नाम का अर्थ मनुष्य के अवसंरचना का सूचक,
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Asheesh Kamal Shrivastva (Asheesh Kamal)
Asheesh Kamal Shrivastva (Asheesh Kamal)
E-Mail: asheesh_kamal@yahoo.in
निश्चित मैं कहता हुँ; आपके चेहरे पर मुस्कान,
आखो में अश्रुधारा और गालों के मध्य
डिम्पल बनेगी II -आशीष कमल
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