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Sunday, May 17, 2015

मोहब्बत की सच्चाई

नासूर सा बन गया है मोहब्बत आजकल, जिसे देखो वो दिल लगा लेते हैं और बहुत दुर तक साथ चलते हैं एवं कुछ दिनों के बाद उस प्यार भरे दिल को दो मिनट में ही टुकड़े कर देते हैं. इस संदर्भ में, एक बेपनाह प्यार करने वाले परम की कहानी आज आपको सुनाता हुँ-
परम एक ऐसा लड़का जो भावुकता का प्रतिबिम्बथा, ह्र्दय में मानवता की अनुभूति, ईश्वर से अगाध प्रेम, निश्च्छल मन और सुकोमल चेहरा का धनी व्यक्ति था वो, उसके नजर में मोहब्बत ईश्वर की ईबादत थी, कुछ दिन पहले वो हमसे मिला था तो मैने उससे यूँहि पूछा ‘परम क्या आपने कभी प्यार किया है? जब परम मेरे इस प्रश्न को सुना तो उसकी आखों में अश्रुधारा की बुंदे निकलने लगी फिर अपने आप को संभालते हुये परम ने अपने पर्स से एक पासपोर्ट साइज का फोटो निकाला और मुझे दिखाते हुये बोलने लगा- हाँ; किसी से हमने भी प्यार किया था, खूब किया था और इतना किया था जितना कोई नहीं करता, मैने अपने ह्र्दय में ईश्वर के जगह उसकी तस्वीर लगा दी थी, लेकिन उस पगली ने मुझे भी औरों की तरह समझ लिया था, मेरे साथ रिश्ते उसने टूट कर निभाये थे समाज के सामने तो हम अलग अलग थे किंतु हमदोनों ईश्वर के सामने हमसफर बनकर साथ जिने मरने की कसमें खाये थे, बस उसके माथे पर मेरे नाम के सिंदुर नहीं लगेगी थे लेकिन वो कड़वा चौथ का व्रत करती थी मेरी लम्बी जिंदगी के लिये, उसने बहुत सारे सपने दिखाये मुझे, उसने मेरे दिल के सारे मोहब्बत चुरा लिये, उसने मुझे अपना दिवाना बना लिया था, और हमने कई रात चाँद के आगोस मेंसाथ गुजारे थे, उसने मेरे माथे को चुम कर कहा था ये मेरे प्यारे परम आप तो मेरे प्यारा सा बाबू हो आप तो सात जनमों तक सिर्फ मेरे हो और हमेशा मेरे ही रहोगे, मेरे साँसो के मध्य विराजमान हो गयी थी वो, दिन रात उसके ख्यालों में सपने बुना करता था मैं और वो भी मेरे साथ ख्वाब सजाती थी, हमदोनों बहुत खुश थे, वो मुझेबहुत प्यार करती, मेरे साथ जिंदगी बिताने की कितने कसमें खायी थी उसने, मंदिर और मजार पर मत्थे टेके थे उसने मुझे अपना प्रियतम बनाने के लिए, अपने पापा से भी मिलाया था उसने और हमने उन्हे पिता समझ कर इज्जत दिया, क्योंकि कावेरी के पिता तो मेरे भी पिता, पिछले पाँच साल से वो मेरे साथ रही मेरी दुल्हन बन कर, वादे के मुताबिक अब हमने शादी का फैसला किया, लेकिन जब भी मैं बोलता शादी के लिये तो वो हँस कर टाल देती, और कहती ऐ मेरे प्रियतम मेरे परम, आप तनिक भी न सोचो शादी तो मेरी आपसे ही होगी, फिर मैं चुप रह जाता...
कुछ दिन बाद अचानक से उसने बोला मेरे बाबू मेरे जान मुझे माफ कर दो आज से मै किसी और की हो गयी और अब मेरी शादी ठीक हो गयी, कृपया आप मुझे भूल जाओ


मुझे तो साँप सुघ गया, अरे कावेरी ये तुम क्या बोल रही हो, कैसे मै तुम्हे भूल जाउँ, मैने तुम्हारे साथ जिंदगी जीने का फैसला कर लिया है और तुम ककहती हो भूल जाउँ, अरे कावेरी हमदोनों की तो शादी हो गयी है सिर्फ सिदूर ही तो नही लगाया मैने तुम्हारे माथे पर, पाँच साल तुम मेरी दुल्हन बन मेरे खुशी और गम में साथ रही और आज मुझे छोड़ कर किसी और के साथ शादी करने जा रही हो, ऐसा क्युँ कावेरी, मैं तुम्हारे बिना नही जी पाउँगा, तुम्हारी इतनी सारी यादें हैं मेरे पास, तुम्हारी इन यादों को कैसे भूलूँगा, प्लीज मेरा साथ नही छोड़ो, प्लीज कावेरी. उसने हँसते हुये कहा वो पाँच साल मैने यूँहि बिताया मैने सोचा मेरे पिता हमारी शादी की बात मान जायेगे इसलिये मै तुम्हारी दुल्हन बन तुम्हारे साथ रही लेकिन अब पिता नहीं समझ रहे है तो मै क्या करूँ, मैं पिताजी का विरोध नहीं कर सकती,मैं मजबूर हुँआप कृपया मुझे माफ कर दिजिये अब मै किसी और की बनने जा रही हुँ, कावेरी तुमने जो कसमें खायी थी, वादे किये थे उसका क्या? क्या वो सब झुठ थे, जब तुम्हारा खुद का निर्णय नही था तो तुमने मुझे ख्वाब क्यों दिखाये, क्यों मेरे साथ इतना गहरा रिश्ता बनायी, अरे पागल तुम्हे तो कुछ नही हो रहा है लेकिन मेरी स्थिति नियंत्रण में नही है, मैं अपने ह्रदय को हाथों से दबाते हुये पुन: बोला प्लीज मुझे अकेला नहीं छोड़ो. किंतु कावेरी ने कहा मैं मजबूर हुँ परम और  फोन कट कर दिया... मै नि:शब्द, धम्म से फर्श पर गिर गया.. आखो से अश्रुधारा निकलने लगी, मै यहाँ बँद कमरे में पिछ्ले पाँच साल की घटनाओं को याद कर तड़पता रहा और उधर कावेरी भविष्य की खुशियो को सोच कर शादी मनाती रही...झूठी मोहब्बत के सामने आज फिर सच्चा मोह्ब्बत हार गया , अपितु मैं उसके यादों को दिल में लिये शादी नहीं करने का फैसला लिया, क्या पता जो दूसरी आये वो भी ऐसी ही हो? एक साँस में परम ने अपनी आपबिति सुना दिया, उसकी आखों से अश्रु निकलते देख कर मै भी भव विभोर हो गया, परम की कहानी सुनते सुनते कब शाम हो गयी पता नही चला, फिर मैने परम को उसके घर छोड़ कर वापस अपने घर की ओर द्रवित मन से जाने लगा मन में अजीब सी बेचैनी हो गयी थी, घर पहुँचा तो प्रज्ञा ने मेरा पसंद का खाना बनाया था, लेकिन मैने पराठा का दो निवाला मुँह में डाला और अपने कमरे की तरफ बढने लगा मेरी पत्नी प्रज्ञा ने मुझसे पूछा भी , क्या जी खाना अच्छा नहींं है क्या , मैने अच्छा है बोलकर कमरे में चला गया, मैने फैसला किया की कल परम से मिलकर उसे समझाउँगा। सुबह जल्दी से उठकर परम के घर पहुँचा वहाँ की स्थिति देख कर थोड़ा शुकून मिला किंतु जब अन्दर गया तो शरीर मेरा सुन्न हो गया परम इस दुनिया से विदा हो चुका था उसकी मोहब्ब्त उसके लिये अभिशाप बन गयी, निश्चित ही जब कोई मनुष्य प्रेम की चरम तक पहुँच जाता है तो उसे ये दुनियावाले समझ नही पाते और अंतत: ईश्वर के शरण में उसके प्रेम का दीक्षांत हो जाता है. मै भिगी पलकों से वापस लौट आया, और खुद ही प्रश्न करता और खुद ही उत्तर देता, शादी के पहले प्यार नहीं करें, अगर प्यार करना ही है तो शादी के बाद करें, अन्यथा परम के जैसा आपका भी यही हाल होगा, क्योकि आजकल लड़के-लड़कीयाँ मोहब्बत तो कर लेते है फिर प्यार में बहुत आगे तक चले जाते है कितु जब शादी की बात आती है तो अपने पैरेट्स की दुहाई देने लगते है, मै कहता हुँ जब शादी का डीसिजन तुम्हारा नही है तो प्यार करने का डीसिजन भी तुम्हार नहीं होना चाहिये किसी को ख्वाब दिखाने की जरूरत ही क्या है, प्यार भी अपने माता पिता से पूछ कर ही किया करो, आपने तो शादी कर लिया और खुशी खुशी अपनी जिंदगी जिने लगे, कभी उसके बारे में सोचा की उसका क्या होगा जिसे आपने पाँच साल से ख्वाब दिखाये, उसकी हर धड़कन पर आपने अपना नाम लिख दिया और एक पल मे तोड़ दिये उसके सारे ख्वाब, तो उसपर क्या बीत रही होगी, यदि यही कार्य परम करता तो कावेरी पुलिस में जाती और  क्या- क्या करती, ये मुझे भी नही पता, लेकिन वो परम को नम्रतापूर्वक नहीं छोड़ती, परम से बदला कावेरी जरूर लेती. लेकिन परम तो भावुक और संस्कारी लड़का था उसने कावेरी के साथ कुछ नही किया तथा अपने दिल को हमेशा के लिए आँसूओ मे कैद कर दिया और आज उसके मोहब्ब्त का दीक्षांत हो गया, चला गया हमेशा के लिए इस दर्द भरी दुनिया को छोड़कर।

दोस्तो आजकल यही है मोहब्ब्त की सच्चाई तो PleaseHandle with Care” –
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2 comments:

  1. Scha pyaar hi whi hai jo kuch na khe or usko jaane de kyuki jo pyaar krta hai wo siirf deta hai Lena nhi janta bhle hi wo ldki ho ya ldka khud aansuo me bheeg jata ha bitaye huye Palo ko yaad krte huye PR kbhi nhi chahega bura uska dil se niklegi dua uske bhle ki khud dubb jaye aashruyo ki dhara me

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