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कभी तुम्हारे ख्वाबों में आउँगा,
क़भी तुम्हारे यादों में आउँगा,
मैं वो खुशबू हुँ, जो तुम्हारे हर साँसों में घुल जाउँगा।
कभी तुम्हारे पलकों पर आउँगा,
कभी तुम्हारे होठों पर आउँगा,
मैं वो धड़कन हूँ, जो तुम्हारे दिल में ही धड़कता जाउँगा।
क्योंकि;
मिटा नहीं सकते तुम मुझे अपने जीवन के पन्नों से,
मैं तो खुशीयों का शब्द हूँ,
तुम्हारी हर मुस्कान और हर गम में नजर आउँगा।
कभी तुम्हारे सीने में आउँगा,
कभी तुम्हारे कानों में आउँगा,
जब भी मिलोगे किसी के गले से तुम,
मैं आसूँ बनकर तुम्हारे पलकों से नीचे गीर जाउँगा।
कभी तुम्हारे पास नजर आउँगा,
कभी तुमसे दूर नजर आउँगा,
जब भी गुजरोगे तुम अपने घर की गलियों से,
मैं हवा का झोंका बनकर, तुम्हारे बालों को बिखरा जाउँगा।
और,
तुम जब रखोगे व्रत करवा चौथ का,
देखोगे नीले आसमान को, या दोनों जहाँन को,
मैं चाँद और सितारों में तुम्हें नजर आउँगा।
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कभी तुम्हारे ख्वाबों में आउँगा,
क़भी तुम्हारे यादों में आउँगा,
मैं वो खुशबू हुँ, जो तुम्हारे हर साँसों में घुल जाउँगा।
कभी तुम्हारे पलकों पर आउँगा,
कभी तुम्हारे होठों पर आउँगा,
मैं वो धड़कन हूँ, जो तुम्हारे दिल में ही धड़कता जाउँगा।
क्योंकि;
मिटा नहीं सकते तुम मुझे अपने जीवन के पन्नों से,
मैं तो खुशीयों का शब्द हूँ,
तुम्हारी हर मुस्कान और हर गम में नजर आउँगा।
कभी तुम्हारे सीने में आउँगा,
कभी तुम्हारे कानों में आउँगा,
जब भी मिलोगे किसी के गले से तुम,
मैं आसूँ बनकर तुम्हारे पलकों से नीचे गीर जाउँगा।
कभी तुम्हारे पास नजर आउँगा,
कभी तुमसे दूर नजर आउँगा,
जब भी गुजरोगे तुम अपने घर की गलियों से,
मैं हवा का झोंका बनकर, तुम्हारे बालों को बिखरा जाउँगा।
और,
तुम जब रखोगे व्रत करवा चौथ का,
देखोगे नीले आसमान को, या दोनों जहाँन को,
मैं चाँद और सितारों में तुम्हें नजर आउँगा।
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बहुत बढ़िया लिखा है भाई
ReplyDeleteजियो
आशीष जी